सर्द हवाएं (जाड़ा)
प्रतियोगिता हेतु रचना
सर्द हवाएं (जाड़ा)
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देखो कितना आया जाडा़
पी लो चाय बना कर काढा़
गुड़ की चाय बना कर पीना
गरमा गरम पकौडा़ लेना
जाडा़ पास नहीं आयेगा
चाय देखकर भग जायेगा
घर में ओढ़ रजाई बैठो
दादी, दादा के संग बैठो
मोमफली भी संग रख लेना
उबले गरम सिंघाड़े लेना
जाड़े का मौसम है अच्छा
खाने को मिलता है खुब अच्छा
मक्कू की बर्फ मैदे का लच्छा
गाजर का हलुआ भी लाना
आपस में मिल बांट के खाना
गजक का स्वाद भी बडा़ निराला
खाने को मन होता मतवाला
शाम को पापा जब घर आते
मोमफली और हलुआ लाते
आंगन में बैठ कर आग जलाते
आग ताप कर हम सब खाते
अम्मा देती फिर चाय का काढ़ा
बड़े मौज से कटता जाड़ा
कवि विद्या शंकर अवस्थी पथिक कल्यानपुर कानपुर
Mohammed urooj khan
06-Nov-2023 12:55 PM
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